ड्राफ्ट को देश के सेंट्रल बैंक की स्थिति के अनुसार बदला जाना चाहिए। स्टेट ड्यूमा की वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई है।
संशोधन की सिफारिश करने का निर्णय क्रिप्टोकरेंसी विधायी विनियमन के कार्यकारी समूह की बैठक के बाद लिया गया था, जिसकी अध्यक्षता वोरोनिश क्षेत्र के एक डिप्टी और आर्थिक विज्ञान के विशेषज्ञ अलेक्सी गोर्डीव ने की थी। इससे पहले हुई कई मीटिंग ने कार्यकारी समूह के तहत विशेषज्ञ परिषद की स्थिति की पुष्टि की: विशेषज्ञों ने क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र के विनियमन के लिए वित्त मंत्रालय के दृष्टिकोण को सपोर्ट किया, लेकिन इंगित किया कि कानूनी मसौदे को अंतिम रूप देने की ज़रूरत है। देश में क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के संबंध में, इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा सेंट्रल बैंक की सिफारिशें होंगी।
विशेषज्ञ परिषद वास्तव में क्या सुझाव देता है?
परिषद के सदस्यों का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी की उच्च अस्थिरता के कारण निवेश खोने का जोखिम, जो कि बिटकॉइन के ऐतिहासिक रूप से कम रेट, साइबर खतरों और धोखाधड़ी की गतिविधियों में नज़र आता है, उस जोखिम को कम करने के लिए मुद्रा धारकों के लिए शर्तें स्थापित करना आवश्यक है। कानून में, उन्हें डिजिटल करेंसी के साथ ट्रांजेक्शन करने के लिए अधिकृत लाइसेंस प्राप्त संस्था कहा जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि डिजिटल करेंसी एक क्रिप्टोकरेंसी नहीं होगी, बल्कि किसी देश की फिएट करेंसी का ही दूसरा रूप होगा। उदाहरण के लिए, डिजिटल रूबल इस तरह काम करेगा। हालांकि, यह संभव है कि कानूनी भाषा में — या “डिजिटल करेंसी” शब्द की सीमाओं की परिभाषा — अभी भी बदली जाएगी।
क्रिप्टोकरेंसी रखने वाली कंपनियों के लिए तय की गई शर्तों में — देश में स्थायी रजिस्ट्रेशन, सिद्ध वित्तीय स्थिरता, किसी भी यूजर के लिए उपलब्ध कंपनी प्रबंधकों की लिस्ट, और कुछ मानकों को पूरा करने वाली सुरक्षित सूचना प्रणाली हो सकती है। विशेषज्ञ परिषद ने क्रिप्टो ट्रेडिंग के प्रतिभागियों को योग्य और अयोग्य निवेशकों में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा है — सब कुछ स्टॉक और शेयर मार्किट की तरह होगा, जहां कुछ ट्रांज़ैक्शन केवल “योग्य” लोगों को उपलब्ध होंगे, जो सर्टिफाइड हैं और बड़ी रकम को मैनेज करते हैं। यदि क्रिप्टो मार्किट में इसी रास्ते का अनुसरण किया जाता है — तो ऐसे व्यक्ति जिन्हें “योग्य” निवेशक नहीं माना जायेगा, वे एक निश्चित संख्या में जटिल ट्रांज़ैक्शन करने के हकदार नहीं होंगे जिसके लिए विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है।
विशेषज्ञ परिषद का एक और प्रस्ताव है कि — माइनिंग को व्यावसायिक गतिविधि के रूप में वर्गीकृत किया जाए। इससे उस संस्था को बिजली के लिए विशेष शुल्क देना होगा। ऐसा करने के लिए, पहले “घरेलू ऊर्जा खपत” की अवधारणा को परिभाषित करना जरुरी है — अभी ऐसी शब्दावली देश के कानूनी ढांचे में मौजूद नहीं है। हालांकि, विशेषज्ञ परिषद के सदस्यों के अनुसार, व्यावसायिक टैरिफ बनाना और उद्योग के विनियमन में सुधार करना आवश्यक हो गया है।
विशेषज्ञ परिषद के प्रस्ताव सरकार को जल्दी ही सौंपे जाएंगे। अभी वहां पर “डिजिटल करेंसी (क्रिप्टोकरेंसी) के विनियमन” के क़ानूनी मसौदे पर विचार किया जा रहा है। बिल को वसंत सत्र के अंत से पहले स्टेट ड्यूमा को प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है।